Friday, 4 January 2019

निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक पर संसद की मुहर

निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक पर संसद की मुहर

निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक पर संसद की मुहर 



देश में आठवीं कक्षा तक के छात्रों को योग्यता के आधार पर उत्तीर्ण करने और 'नो डिटेशन नीति' वापस लेने से संबंधित 'निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधयेक 2019' पर गुरुवार को संसद की मुहर लग गई। राज्यसभा ने लगभग एक घंटे की चर्चा के बाद वामदलों के वाकआउट के बीच इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। लोकसभा इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी है। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि आठवीं कक्षा तक के छात्रों को भी परीक्षा में योग्यता के आधार उत्तीर्ण किया जाएगा। अभी तक की 'नो डिटेशन नीति' के अनुसार आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अनुत्तीर्ण नहीं किया जा सकता है।

चर्चा का जवाब देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि नए कानून में किसी को विद्यालय से बाहर करने का प्रावधान नहीं है बल्कि इससे बच्चों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तथा बेहतर परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने आगे कहा कि हाल के वर्षों में शिक्षा के बजट में 40 प्रतिशत की वृद्धि की गई है और यह 82 हजार करोड़ से बढ़कर एक लाख 15 हजार करोड़ रुपए हो गया है। उन्होंने कहा कि इसे और बढ़ाने की जरुरत है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नए प्रावधानों में राज्य को अधिक अधिकार दिए गए हैं।


आगामी परीक्षाओं में अपनाएं ये तरीके, बढ़ जाएंगे अव्वल होने के अवसर

आगामी परीक्षाओं में अपनाएं ये तरीके, बढ़ जाएंगे अव्वल होने के अवसर

आगामी परीक्षाओं में अपनाएं ये तरीके, बढ़ जाएंगे अव्वल होने के अवसर


नया साल अपने साथ नई खुशियों के साथ कई नई उम्मीदें लेकर आता है। जब परीक्षाओं का समय चलता है उस वक्त आप काफी तनाव में रहते हैं। उस वक्त न खाने पर ध्यान होता और न खुद पर। इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे टिप्स दे रहे हैं जिनकी मदद से आप अपनी सफलता को पा सकते हैं।

सिलेबस

परीक्षा में बैठने से पहले परीक्षा के कार्यक्रम और सिलेबस को अच्छे से समझ लें। सबसे पहले पता लगाएं कि एग्जाम में कैसे सावल पूछे जाते हैं। इसके लिए पुराने परीक्षा के प्रश्न पेपर देखें। इससे आपको भरपूर मात्रा में जानकारी मिलेगी और आपको परीक्षा का नेचर भी अच्छे से समझ आएगा। अगर एक बार आपने पैटर्न को अच्छे से समझ लिया तो काफी कुछ क्लीयर हो जाएगा और आगे की तैयारी की रणनीति बना सकेंगे।

पैटर्न

पैटर्न समझ लेने के बाद तैयारी की रणनीति बनाएं। इसके लिए जरूरी है नोट्स तैयार करना। नोट्स भी टॉपिक्स के आधार पर बनाएं। जिस विषय में कमजोर हैं, उस पर ज्यादा ध्यान दें। जिसमें मजबूत हैं उस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है। पर इसका मतलब ये नहीं कि आप बिल्कुल ही उसे छोड़ दें। समय समय पर रिवीजन करते रहें। विषयों के मुताबिक बराबर-बराबर समय देंगे तो सभी कवर हो जाएंगे और तैयारी भी अच्छे से पूरी हो जाएगा

किताबों का चयन

पैटर्न के बाद तैयारी करने से पहले विषयों से संबंधित किताबों का चयन करें। आप तैयारी करने के लिए संबंधित परीक्षाओं की किताबों का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप अपने सीनियर्स या आस-पास मार्केट से किताबों की व्यवस्था कर लें। इससे आपको पता चल जाएगा कि किस पैटर्न के सवाल पूछे जाते हैं, साथ ही अभ्यास करने के लिए कुछ प्रश्न पत्र भी मिल जाएंगे। जिन्हें रिवाइज कर-करके अच्छी तैयारी कर सकते हैं। इससे अंतिम समय में ज्यादा समय टॉपिक्स को सर्च करने में नहीं जाएगा।

टाइम मैनेजमेंट

परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है आपका टाइम मैनेजमेंट। किसी भी एग्जाम की तैयारी के लिए टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। बराबर टाइम बांटकर सभी विषयों की तैयारी करें। एक बार पढ़ने बैठ गए तो इसका मतलव ये नहीं कि एक साथ सब कुछ पढ़ने के बारे में सोचे, बीच में ब्रेक लें। बीच-बीच में उठते रहें और खुद को फ्रेश करते रहें। कोशिश करें कि एक पेपर हल करके ही उठें। दूसरे पेपर को तुरंत हल न करें। थोड़ा रेस्ट के बाद काम शुरू करें।

 किताबें और मैटीरियल

किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए संबंधित विषयों से जुड़ा कंटेट होना जरूरी है। अगर आपके पास विषय सामग्री नहीं है तो इसका प्रभाव न केवल आपके अंकों पर पड़ेगा बल्कि आप अच्छे से तैयारी भी नहीं कर पाएंगे। साथ ही आप न ही ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल कर पाएंगे। अच्छी तैयारी के लिए आपके पास पर्याप्त किताबें और मैटीरियल होना आवश्यक है।

       

Sunday, 16 December 2018

| क्यों होता है मलेरिया | और कितने प्रकार का होता है?

क्या है मलेरिया | क्यों होता है मलेरिया | और कितने प्रकार का होता है?


मलेरिया  एक बीमारी है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है प्रोटोजोआ जन्तु जगत का फाइलम है  जिसमे सूक्छम परजीवी जीव आते जो की दूसरे जीवो के अन्दर    शरीर में रह कर  बीमारिया   फैलाते है

  इसी में से एक  है प्लासमोडियम जो की मलेरिया का मुख्य करन होता है मलेरिया से पीड़ित वयक्ति को बुखार आता है जो मादा मच्छर एनोफेलीज़ के काटने से होता है  इस मच्छर में एक प्लास्मोडियम नाम का परजीवी पाया जाता है जिसके कारण मच्छर के काटने से ये रक्त में फैल जाता है.  और ये रक्त के माध्यम से से लिवर तक  पहुँच 
के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्त की कमी (एनीमिया) हो जाती है   जिससे  चक्कर आना, साँस फूलना,  इत्यादि। इसके अलावा  बुखार, सर्दी, उबकाई और जुखाम जैसी लछढ़  भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। 

         
maleriya



यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है। प्रत्येक वर्ष यह ५१.५ करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा १० से ३० लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है
मलेरिया शब्द इटालियन भाषा शब्द माला एरिया से बना है जिसका मतलब है बुरी हवा यह ऐसी बिमारी है जो परजीवी प्लास्मोडियम  जीवअणु के कारण होती है

खोज था अध्यन 

 मलेरिया का सबसे पहले  चीन से मिलता है. सर्वप्रथम इस का अध्ययन चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरिन वैज्ञानिक द्वारा 1980 किया गया था
जब ये किसी व्यक्ति को काटती है, तो उसके खून की नली में मलेरिया के रोगाणु प्लासमोडियम  फैल जाते है. ये परजीवी प्लाज्मोडियम हीमोजॅाइन टॅाक्सिन को मानव शरीर में उत्पादित करता है.

जब ये Liver तक पहुंचते है  तब ये काफी संख्या में बढ़ जाते है. जैसे ही Liver की कोशिका फटती है तो ये रोगाणु व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं में पहुँच जाते हैं और वहां भी इनकी संख्या बढ़ जाती हैं.
लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला करने से ये नष्ट हो जाती है और फट जाती है. तब ये रोगाणु प्लासमोडियम दूसरी RBCS पर हमला करते हैं और ये सिलसिला इस तरह से चलता रहता है  जब-जब लाल रक्त कोशिका फटती है तो ये रोगाणु (प्लासमोडियम )व्यक्ति में मलेरिया के लक्षण नज़र आते हैं

मच्छर


मलेरिया परजीवी की प्राथमिक पोषक मादा एनोफ़िलीज़  मच्छर होती है, जोकि मलेरिया का संक्रमण फैलाने में भी मदद करती है। एनोफ़िलीज़  के मच्छर सारे संसार में फैले हुए हैं।
 केवल मादा मच्छर खून से पोषण लेती है,   अतः यह ही वाहक होती है ना कि नर। मादा मच्छर एनोफ़िलीज़ रात को ही काटती है। शाम होते ही यह शिकार की तलाश मे निकल पडती है तथा तब तक घूमती है जब तक शिकार मिल नहीं जाता। यह खड़े पानी के अन्दर अंडे देती है। अंडों और उनसे निकलने वाले लारवा दोनों को पानी की अत्यंत सख्त जरुरत होती है। इसके अतिरिक्त लारवा को सांस लेने के लिए पानी की सतह पर बार-बार आना पड़ता है। अंडे-लारवा-प्यूपा और फिर वयस्क होने में मच्छर लगभग 10-14 दिन का समय लेते हैं। वयस्क मच्छर पराग और शर्करा वाले अन्य भोज्य-पदार्थों पर पलते हैं, लेकिन मादा मच्छर को अंडे देने के लिए रक्त की आवश्यकता होती 


मलेरिया प्लास्मोडियम
मलेरिया प्लास्मोडियम cykil 

मलेरिया के प्रकार 


मलेरिया प्लास्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवियों से फैलता है। इस गण के चार सदस्य मनुष्यों को संक्रमित करते हैं- प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम, प्लास्मोडियम विवैक्स, प्लास्मोडियम ओवेल तथा प्लास्मोडियम मलेरिये। 

Plasmodium Falciparum :


सर्वाधिक खतरनाक पी. फैल्सीपैरम माना जाता है, यह मलेरिया के 80 प्रतिशत मामलों और 90 प्रतिशत मृत्युओं के लिए जिम्मेदार होता है इसमें बहुत तेज़ ठण्ड लगती है, सिर में काफी दर्द और उल्टियाँ भी होती हैं.

  • Plasmodium Vivax : अधिकतर लोगों में इसी प्रकार के मलेरिया बुखार को देखा जाता है. वाईवैक्स परजीवी ज्यादातर दिन के समय आता है. यह टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है जो प्रत्येक तीसरे दिन अर्थात 48 घंटों के बाद प्रभाव प्रकट करता है.इसके लक्षण है कमर, सिर, हाथ, पैरों में दर्द, भूख ना लगना, ढण्ड के साथ तेज बुखार का आना आदि.
  • Plasmodium Ovale : यह भी मलेरिया उत्पन्न करता है.
  • Plasmodium malariae): यह क्वार्टन मलेरिया उत्पन्न करता है, जिसमें मरीज को हर दिन बुखार आता है, जब किसी व्यक्ति को ये रोग होता है तो उसके यूरिन से प्रोटीन जाने लगता है जिसके कारण शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है और सूजन आने लगती है.
  • Plasmodium knowlesi : यह आमतौर पर दक्षिणपूर्व एशिया में पाया जाने वाला एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी है. इसमें भी ठण्ड लगकर बुखार आता है,

  • मलेरिया रोग के लक्षण 


  • मांसपेशियों के दर्द,और बुखार के ठीक होने पर पसीने का आना
  •  पेट की परेशानी,
  •  उल्टीयों का आना
     बेहोशी का होना
  •   ठंड लगकर बुखार का आना .
    थकान, सरदर्द
  •  नियंत्रण एवं रोकथाम 

मच्छरों के प्रजनन स्थलों को जैसे जहां एकठा होता है इसे स्थानों को नष्ट करके मलेरिया पर बहुत नियंत्रण पाया जा सकता है। 
खड़े पानी में मच्छर अपना प्रजनन करते हैं, ऐसे खड़े पानी की जगहों को ढक कर रखना, सुखा देना या बहा देना चाहिये या पानी की सतह पर तेल डाल देना चाहिये, जिससे मच्छरों के लारवा सांस न ले पाएं। 
इसके अतिरिक्त मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में अकसर घरों की दीवारों पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाता है। 
अनेक प्रजातियों के मच्छर मनुष्य का खून चूसने के बाद दीवार पर बैठ कर इसे हजम करते हैं। ऐसे में अगर दीवारों पर कीटनाशकों का छिड़काव कर दिया जाए तो दीवार पर बैठते ही मच्छर मर जाएगा, किसी और मनुष्य को काटने के पहले ही। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में छिडकाव के लिए लगभग 12 दवाओं को मान्यता दी है। इनमें डीडीटी के अलावा परमैथ्रिन और डेल्टामैथ्रिन जैसी दवाएँ शामिल हैं, खासकर उन क्षेत्रों मे जहाँ मच्छर डीडीटी के प्रति रोधक क्षमता विकसित कर चुके है। साथ ही साथ इस को रोकने के लिए हर देश अपनी पूरी कोशिस कर रहा जिससे जल्द से जल्द इस पर नियंत्रण पाया जा सके आज के टाइम में प्रति वर्ष २० लाख लोगो की मृत्यु केवल भारत मई हो जाती हे 




Wednesday, 12 December 2018

The pre-board examination of Class XII prepares students | board examination of Class XII

The pre-board examination of Class XII prepares students


The pre-board examination of Class XII prepares students
for board examination and even promises a foundation for the career.
 Unfortunately, students do not take this examination seriously and
end up performing poorly even in the board examination in March.

board exam 2019
Pre-board examination result gives an idea about how
the performance would be in board examination. It also is
one of the significant parameters of selection to various professional courses.
The examination is considered as the ‘full dress-rehearsal’ of the ensuing board examination.
Thus, students need study well for pre-board examinations and plan meticulously. Be thorough with syllabus
The syllabus of all subjects ofthe course gets completed in schools before the com mencement of pre-board
examination. Next is revising the concepts seriously, so thatlessons learnt in the
 classroom are memorised well.
Students should know the syllabus of each subject to plan the time better. While revising the syllabus, students must have knowledge of the following points:
https://techeduinfom.blogspot.com/
2.Chapters with high and low weightage of marks
and types of questions asked from those chapters in the
examination. Each chapter must be thoroughly studied to find out the number of
objective or multiple-choice type questions, short-answer type questions, long-answer
type questions and, most importantly, numerical questions prescribed to be asked
in the examination.
3.Choose long-answer typequestions in each chapte rvery carefully and prepare
the answers rationally. The long-answer type questions usually carry six-eight marks
and thus, play a crucial role inscoring good marks.
4.Make notes of important facts, figures and formulae of each chapter
and paste them at a vantagepoint in your study room.
5.Plan on a day-to-day basis. Since the time peri-od for the pre-board examination is very less, you need to make a plan on everyday basis. Identify the various chapters which you find hard to grasp and devote it an entire day.
You may even club a few chapters to practice for a day. 
This would hasten the learning and accelerate the process of preparation to dovetail the time running so fast.
Make realistic plans, which can be implemented with there sources and time available.
Avoid burdening your day with the tasks which you cannot accomplish and handle.
Do not panic When time runs fast and syllabus is vast, students can
start feeling jittery. Do not worry a lot about the exami-
nation, because the assessment is only at the school level and not at the Board level.
Despite average performance in this examination, you must understand that you
still have another big chance to prove your mettle in the final examination. Be patient
and keep your confidence up to continue to prepare for the final examination.
Be positive, always Having a positive mental attitude means asking how some-
thing can be done, rather than saying it can’t be. You must always stay optimistic even if
the situation isn’t in your
favour. Always believe in your ability and stop underestimating yourself.
Do not stop trying. Success in pre-board examination is, in fact, the reflection of how you
are going to do in your fina lexamination. 
The academicians and the subject experts have come to the conclusion
that the final-board examination results are only plus and minus 10 percent of the pre-
board examination results

MANAGE TIME RATIONALLY

  • Time management is also a prerequisite for success in examination like pre-boards. Every student has his own
  • favourite subjects. But there are always a few subjects that a 
  • student finds difficult to learn and understand. For such subjects, you need to allot relatively more time and resources.
  • This type of rational time management not only makes the
  • task easier, but also more rewarding and encouraging.

CLARITY ABOUT OBJECTIVE AND MCQS

  • Multiple-choice and objective questions are generally of one-mark each.
  • These questions are of quick-fix naturewhich can help a student score easy and crucial marks.
  • To prepare for the answers of these types of questions, you must study each chapter very intensively. Jot down important concepts, theories, inventions, rules laws
  • formulae, equations, and step-wise methods of measurement  or calculation, units, year, date and a lot of other facts and figures while going through the chapters.

Sunday, 18 November 2018

कैसे तय होती है रुपय के मुकाबले डॉलर की कीमत | How Rupee Value Is Determined Against Dollar

  कैसे  तय होती है रुपय  के मुकाबले डॉलर की कीमत |  How Rupee Value Is Determined Against Dollar


आज़ादी के वक्त 1 Dollar की कीमत 1 रुपय  के बराबर थी. लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि पिछले 71 सालों में रुपय  लगातार लुढ़कता चला गया और आज हालात ये हैं कि अब एक Dollar हांसिल करने के लिए हमें लगभग 74 रुपय  चुकाने पड़ रहे हैं. तो चलिए आपको लेकर चलते हैं रुपय  की उस जर्नी पर जो 1947 से लेकर अब तक डलान पर है.

1947                
https://en.wikipedia.org/wiki/Dollar
How Rupee Value Is Determined Against Dollar
  


1$ = 1rupee 

भारत सरकार ने व्यापर को बढ़ावा देने तथा export को बढ़ाने के लिए 1948  के बाद पैसे की वैल्यू लो कम कर दिया जिससे की देश इकोनॉमी को चलाने के लिए लोन मिल सके चूकि सरकार को लोन की आवश्यकता थी जिसके चलते सरकार को पहली बार रुपय की वैल्यू को कम करना पड़ा जिसका मुख्य कारड  विदेशी इंवेसमेंट 
को बढ़ावा देना तथा एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना था  

फिक्स रेट सिस्टम 

आजादी के बाद भारत सरकार ने फिक्स रेट सिस्टम अपनाया जिसके तहत सरकार तय करती थी की डॉलर के मुकाबले पैसे की कीमत क्या रखी जाएगी  


1949 
https://en.wikipedia.org/wiki/Rupee
dollar va rupee 

1 $ =  4.49 रु

 1962 तथा 1965 war के कारण भारत की इकोनॉमी की हालत बिगड़ गयी तथा बुरी हालत में पहुंच गयी जिसके सुधार के लिए भारत को अपने रु की वैल्यू को दोबारा कम करना पड़ा ओर डॉलर की कीमत 7 रुपय पहुंच गयी 
इसका मैन कारण था की सरकार को विदेशो से हथियार खरीदने पड़े जिससे भारत फॉरन रिजर्व में कमी जिसे सदृढ़ करने के लिए रु की वैल्यू को गिराना करना पड़ा 

https://en.wikipedia.org/wiki/History_of_the_rupee
NIR/USD

1971 में भारत के रु का लिंक ब्रिटिश pound से खत्म कर दिया गया ओर रु को को सीधा डॉलर से जोड़ दिया गया जिससे 1975 तक रुपय की वैल्यू  1$= 9 रु हो गयी 

1971 

1$=8 रु    ||||

1985 

1$=12रु |

1990 

इस समय तक भर का फॉरेन  रिजर्व लगभग ख़तम हो गया था भारत सरकार के पास केवल कुछ ही समय तक देश की इकॉनमी चलने के लिए पैसा बचा था जिससे सरकार  ने IMF से लोन लिया जिससे सरकार को अपनी कर्रेंसी की वैल्यू को एक बार फिर कम करना पड़ा ओर अब डॉलर के मुकाबले रु की कीमत लगभग 18 हो गई 

1991 
1$=17.90 रु 
1993 
इस समय $ की बढ़ती हुई कीमत को देखते हुए फिक्स एक्सचेंज रेट की जगह रेलेक्सिबले एक्सचेंज रेट की पॉलिसी अपनाई गयी 
जिससे अब डॉलर की कीमत सरकार की बजाय बाजार तय करने वाला था 

तथा रु की कीमत स्थिर रखने के लिए  RBI को कुछ पावर दे दिया गया इस के बाद भी रु की कीमत का गिरना कम होने की बजाय और गिरती चली गई  ऒर 1 $ की कीमत 32 रु हो गई और इसके बाद रु की कीमत लगातार कम होती चली गयी और 2010 तक डॉलर की कीमत 45रु हो गयी  

2013 

1$=63रु ||

2015 

1$=67रु ||

2018 

1$=71रु

रु  की वैल्यू के कम होने कराण  

1.मेह्गाई

2.रोजगार की कमी 

3.व्याज दर 

4.शेयर मार्केट का उतर चढाव 

5.ग्रोथ रेट 

6.विदेशी मुद्रा रिजर्व  


ये वो कारण है जो रु को मजबूत व कमजोर बनाते है जो किसी भी देश की करेंसी का कमजोर या मजबूत होने का कारण होती है |  जिस देश के पास जितना  अधिक विदेशी भण्डार होगा उस देश के पैसे की value उतनी ही अधिक होगी तथा विदेशी भण्डार जुड़ा होता है inport -export से तो जी देश inport अधिक करता है उस देश का  forein reseve कम होता है इस कारण उस देश की मुद्रा की वैल्यू कम हो जाति है | और यदि कोई देश ज्यादा export करता है तो उस देश के पास forein reseve अधिक होता है और उस देश की मुद्रा की वैल्यू अधिक होती जाती है 
इस लिए सरकार को संतुलन बना कर चलना होता है क्योंकि यदि किसी देश की मुद्रा की वैल्यू ज्यादा होगी तो अन्य देश उस देश से सामान कम खरीदेगें जिस से उस देश के एक्सपोर्ट मे कमी आएगी 

RBI Intrest Rate 

यदि जमा राशी पर व्याज दर अधिक होगी तो लोग देश में ज्यादा निवेश करेंगे और यदि व्याज की दर काम होगी तो लोग कम निवेश करेंगे | वर्त्तमान मे पैसे की वैल्यू की कमी का ये भी एक बड़ा कारण  है  

कच्चे तेल मे बढ़ोतरी 

कच्चे तेल की कीमतों मे बढ़ोतरी  से सरकार के विदेशी भण्डार मे कमी आ रही है क्योंकि की सरकार को तेल के लिए डॉलर मे पे करना पड़ता है | जो की पैसे की वैल्यू का कम होने का एक बड़ा कारण है 

चालू खाता घाटा    

चालू खाता घाटा जो की 2019 तक ३% की दर से बढ़ने का अनुमान है जिससे विदेशी मुद्रा भण्डार मे कमी और पैसे की वैल्यू मे गिरावट का कारण होगा |

International Market मे बड़ती $ की माग 

अंतराष्ट्रीय बाजार मे $ की माँग दिन प्रति दिन बढ़  रही है  $ की की बढ़ती माँग भी पैसे की वैल्यू के कम होने का एक प्रमुख कारण है 


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