कैसे तय होती है रुपय के मुकाबले डॉलर की कीमत | How Rupee Value Is Determined Against Dollar
आज़ादी के वक्त 1 Dollar की कीमत 1 रुपय के बराबर थी. लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि पिछले 71 सालों में रुपय लगातार लुढ़कता चला गया और आज हालात ये हैं कि अब एक Dollar हांसिल करने के लिए हमें लगभग 74 रुपय चुकाने पड़ रहे हैं. तो चलिए आपको लेकर चलते हैं रुपय की उस जर्नी पर जो 1947 से लेकर अब तक डलान पर है.
1947
How Rupee Value Is Determined Against Dollar |
1$ = 1rupee
भारत सरकार ने व्यापर को बढ़ावा देने तथा export को बढ़ाने के लिए 1948 के बाद पैसे की वैल्यू लो कम कर दिया जिससे की देश इकोनॉमी को चलाने के लिए लोन मिल सके चूकि सरकार को लोन की आवश्यकता थी जिसके चलते सरकार को पहली बार रुपय की वैल्यू को कम करना पड़ा जिसका मुख्य कारड विदेशी इंवेसमेंट
को बढ़ावा देना तथा एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना था
फिक्स रेट सिस्टम
आजादी के बाद भारत सरकार ने फिक्स रेट सिस्टम अपनाया जिसके तहत सरकार तय करती थी की डॉलर के मुकाबले पैसे की कीमत क्या रखी जाएगी
1949
dollar va rupee |
1 $ = 4.49 रु
1962 तथा 1965 war के कारण भारत की इकोनॉमी की हालत बिगड़ गयी तथा बुरी हालत में पहुंच गयी जिसके सुधार के लिए भारत को अपने रु की वैल्यू को दोबारा कम करना पड़ा ओर डॉलर की कीमत 7 रुपय पहुंच गयी
इसका मैन कारण था की सरकार को विदेशो से हथियार खरीदने पड़े जिससे भारत फॉरन रिजर्व में कमी जिसे सदृढ़ करने के लिए रु की वैल्यू को गिराना करना पड़ा
1971 में भारत के रु का लिंक ब्रिटिश pound से खत्म कर दिया गया ओर रु को को सीधा डॉलर से जोड़ दिया गया जिससे 1975 तक रुपय की वैल्यू 1$= 9 रु हो गयी
1971
1$=8 रु ||||
1985
1$=12रु |
1990
इस समय तक भर का फॉरेन रिजर्व लगभग ख़तम हो गया था भारत सरकार के पास केवल कुछ ही समय तक देश की इकॉनमी चलने के लिए पैसा बचा था जिससे सरकार ने IMF से लोन लिया जिससे सरकार को अपनी कर्रेंसी की वैल्यू को एक बार फिर कम करना पड़ा ओर अब डॉलर के मुकाबले रु की कीमत लगभग 18 हो गई
1991
1$=17.90 रु
1993
इस समय $ की बढ़ती हुई कीमत को देखते हुए फिक्स एक्सचेंज रेट की जगह रेलेक्सिबले एक्सचेंज रेट की पॉलिसी अपनाई गयी
जिससे अब डॉलर की कीमत सरकार की बजाय बाजार तय करने वाला था
तथा रु की कीमत स्थिर रखने के लिए RBI को कुछ पावर दे दिया गया इस के बाद भी रु की कीमत का गिरना कम होने की बजाय और गिरती चली गई ऒर 1 $ की कीमत 32 रु हो गई और इसके बाद रु की कीमत लगातार कम होती चली गयी और 2010 तक डॉलर की कीमत 45रु हो गयी
2013
1$=63रु ||
2015
1$=67रु ||
2018
1$=71रु
रु की वैल्यू के कम होने कराण
1.मेह्गाई
2.रोजगार की कमी
3.व्याज दर
4.शेयर मार्केट का उतर चढाव
5.ग्रोथ रेट
6.विदेशी मुद्रा रिजर्व
ये वो कारण है जो रु को मजबूत व कमजोर बनाते है जो किसी भी देश की करेंसी का कमजोर या मजबूत होने का कारण होती है | जिस देश के पास जितना अधिक विदेशी भण्डार होगा उस देश के पैसे की value उतनी ही अधिक होगी तथा विदेशी भण्डार जुड़ा होता है inport -export से तो जी देश inport अधिक करता है उस देश का forein reseve कम होता है इस कारण उस देश की मुद्रा की वैल्यू कम हो जाति है | और यदि कोई देश ज्यादा export करता है तो उस देश के पास forein reseve अधिक होता है और उस देश की मुद्रा की वैल्यू अधिक होती जाती है
इस लिए सरकार को संतुलन बना कर चलना होता है क्योंकि यदि किसी देश की मुद्रा की वैल्यू ज्यादा होगी तो अन्य देश उस देश से सामान कम खरीदेगें जिस से उस देश के एक्सपोर्ट मे कमी आएगी
RBI Intrest Rate
यदि जमा राशी पर व्याज दर अधिक होगी तो लोग देश में ज्यादा निवेश करेंगे और यदि व्याज की दर काम होगी तो लोग कम निवेश करेंगे | वर्त्तमान मे पैसे की वैल्यू की कमी का ये भी एक बड़ा कारण है
कच्चे तेल मे बढ़ोतरी
कच्चे तेल की कीमतों मे बढ़ोतरी से सरकार के विदेशी भण्डार मे कमी आ रही है क्योंकि की सरकार को तेल के लिए डॉलर मे पे करना पड़ता है | जो की पैसे की वैल्यू का कम होने का एक बड़ा कारण है
चालू खाता घाटा
चालू खाता घाटा जो की 2019 तक ३% की दर से बढ़ने का अनुमान है जिससे विदेशी मुद्रा भण्डार मे कमी और पैसे की वैल्यू मे गिरावट का कारण होगा |
International Market मे बड़ती $ की माग
अंतराष्ट्रीय बाजार मे $ की माँग दिन प्रति दिन बढ़ रही है $ की की बढ़ती माँग भी पैसे की वैल्यू के कम होने का एक प्रमुख कारण है
should be also knows
how to speak English
very nice
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